মাঞ্জিল না রাহী কোই ঠিকানা ভী নেহীঁ হ্যায় | Manzil Na Rahi Koi Thikana Bhi Nahi Hain | मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं हैं | Key Lyrics

মাঞ্জিল না রাহী কোই ঠিকানা ভী নেহীঁ হ্যায়
Manzil Na Rahi Koi Thikana Bhi Nahi Hain
मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं हैं
Ghazal Song (গজল)
Album: कशिश (Kashish) 1998
Lyricist: Traditional
Music Director: भूषण दुआ
(Bhushan Dua)
Singer: अनूप जलोटा (Anup Jalota)
[মাঞ্জিল না রাহী কোই ঠিকানা ভী নেহীঁ হ্যায়]-২
বাপাস মুঝে ঘর লট কে জানা ভী নেহীঁ হ্যায়
মাঞ্জিল না রাহী কোই ঠিকানা ভী নেহীঁ হ্যায়।
[মারনে কী কোই রাহ নিকালী নেহীঁ জাতী]-৩
জীনে কে লিএ কোই বাহানা ভী নেহীঁ হ্যায়
বাপাস মুঝে ঘর লট কে জানা ভী নেহীঁ হ্যায়
মাঞ্জিল না রাহী কোই ঠিকানা ভী নেহীঁ হ্যায়।
[ম্যাঁয়নে হী সিখায়া থা উসে তীর চালানা]-৩
আব মেরে সিবা কোই নিশানা ভী নেহীঁ হ্যায়
বাপাস মুঝে ঘর লট কে জানা ভী নেহীঁ হ্যায়
মাঞ্জিল না রাহী কোই ঠিকানা ভী নেহীঁ হ্যায়।
[ইয়ে শেহের গানীমত হ্যাঁয় কাহাঁ জাওঁগে রাহী]-৩
বো লোগ নাহীঁ হ্যাঁয় বো জমানা ভী নেহীঁ হ্যাঁয়
বাপাস মুঝে ঘর লট কে জানা ভী নেহীঁ হ্যায়
মাঞ্জিল না রাহী কোই ঠিকানা ভী নেহীঁ হ্যায়।
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[मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं हैं]-x२
वापस मुझे घर लौट के जाना भी नहीं है
मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं हैं
[मरने की कोई राह निकाली नहीं जाती]-x३
जीने के लिए कोई बहाना भी नहीं हैं
वापस मुझे घर लौट के जाना भी नहीं है
मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं हैं
[मैंने ही सिखाया था उसे तीर चलाना]-x३
अब मेरे सिवा कोई निशाना भी नहीं है
वापस मुझे घर लौट के जाना भी नहीं है
मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं हैं
[ये शहर गनीमत हैं कहाँ जाओंगे राही]-x३
वो लोग नहीं हैं वो ज़माना भी नहीं हैं
वापस मुझे घर लौट के जाना भी नहीं है
मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं हैं
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[Manzil na rahi koi thikana bhi nahi hain]-x2
Waapas mujhe ghar laut ke jana bhi nahi hain
Manzil na rahi koi thikana bhi nahi hain
[Marne ki koi raah nikali nahi jaati]-x3
Jeene ke liye koi bahana bhi nahi hain
Waapas mujhe ghar laut ke jana bhi nahi hain
Manzil na rahi koi thikana bhi nahi hain
[Maine hi sikhaya tha use teer chalana]-x3
Ab mere shiva koi nishana nahi hain
Waapas mujhe ghar laut ke jana bhi nahi
Manzil na rahi koi thikana bhi nahi hain
[Ye sheher ganimat hain
Kahan jaonge raahi]-x3
Woh log nahi hain woh zamana bhi nahi hain
Waapas mujhe ghar laut ke jana bhi nahi
Manzil na rahi koi thikana bhi nahi hain.

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